प्रकृति और संस्कृति हमारे जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग है। जैसे प्रकृति के बिना हमारा जीवन व्यर्थ है, उसी प्रकार हमारी संस्कृति के बिना भी हम और हमारा समाज अस्तित्वहीन है। और इसी 'प्रकृति और संस्कृति' के ज्ञान का संदेश दे रही हैं बदायूँ (उ०प्र०) की रहने वाली - डॉ० वन्दना मिश्रा। डॉ० वन्दना मिश्रा का जन्म 12 सितंबर 1976 को गोरखपुर (उ०प्र०) के एक साधारण परिवार में हुआ। आपकी माता का नाम श्रीमती जामवंती त्रिपाठी तथा पिता का नाम श्री उमाशंकर त्रिपाठी है। बचपन से ही आपकी रुचि साहित्य और समासेवा में होने के कारण अपने जीवन में आपने अनेक सराहनीय कार्यों को अंजाम दिया। विद्यालय जीवन में भी आप एक कर्मठ और सहयोगी छात्रा के रूप में जानी जाती थीं। आप अपने विद्यालय में समाजिक/साहित्यिक कार्यों में भी बढ़ चढ़कर भाग लेती थीयही कारण रहा कि आप अपने परिवार और विद्यालय में सभी का स्नेह पाती रहीं। प्रकृति और साहित्य के अतिरिक्त आपकी रुचि संगीत, चित्रकला आदि में भी रही। आपने अपने विद्यालय जीवन में ही अनेक प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अपने विद्यालय का मान बढ़ाया। वही शिक्षा और संस्कार आप में आज भी साफ झलकते हैं।
अपनी कॉलेज शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात आपने एम.ए. पीएच.डी. (हिन्दी) की उपाधि प्राप्त की। वर्तमान में आप असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर अपनी सेवाएं दे रही हैं। आपकी अनेक __कविताएँ, कहानियाँ, आलेख, शोध-पत्र आदि देश की अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशित होते रहते हैं। आपके लेख और कहानियों को ऑनलाइन भी काफी प्रसिद्धि मिल चुकी है। आपके सराहनीय कार्यों को ध्यान में रखते हुए आपको अनेक प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा सम्मानित भी किया गया, जिसमें मुख्य रूप से 'हिन्दी सेवी सम्मान' तथा 'सरस्वतीश्री सम्मान' प्राप्त है। आप अनेक प्रतिष्ठित संस्थाओं से जुड़ी हैं। वर्तमान में आप बच्चों को 'प्रकृति और संस्कृति' की शिक्षा का ज्ञान कराकर भारतवर्ष की सुदृढ़ भावी पीढ़ी का निर्माण करने का सपना सजोए हैं। इसी संकल्प के साथ आप अब तक अनेक बच्चों को अपनी प्रकृति और संस्कृति की रक्षा के लिए प्रेरित भी कर चुकी हैं। बच्चों के द्वारा सामाजिक/साहित्यिक कार्यक्रम. कार्यशालाएँ, सेमिनार आदि का आयोजन, पौधारोपण, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, जल संरक्षण, शिक्षित समाज आदि की शिक्षा आप बच्चों को दे रही हैं। अतः आपका व्यक्तित्व एवं सराहनीय कार्य अवश्य ही बच्चों को प्रेरणा देंगे, ऐसा हमारा विश्वास है।