माँ गंगा


मनु शिवपुरी, कनखल (हरिद्वार)


मेरी गंगा के प्यारे भक्तो, तुमको ये समझाना है गंगा का सम्मान करो तुम, ये इतिहास हमारा है ऋषि-मुनियों ने गाथा गायी, गंगा को सम्मानित किया गंग धर्म की बलि वेदी पर, खुद को ही बलिदान किया क्योंकर भूले कैसे भूले, तुमको याद दिलाना है गंगा का... पित्तों को भी तारा जिसने, तुमने उसको मैला किया दवों ने भी पूजा जिसको, दुनिया ने सम्मान दिया निज स्वार्थों में अंधे होकर, मल तक का प्रवाह किया तटबन्धो को भी न छोड़ा, तुमने वहाँ निर्माण किया क्योंकर भूले कैसे भूले, तुमको याद दिलाना है गंगा का... एक पुत्र हुआ था भागीरथ, जो गंगा को लाया था दूजा मालवीय बनकर आया, जिसने उसे संभाला था तीजे पुत्र की बारी आयी, जिसको पुनः जिवाना है गंगा का... उठो देश के वीर सपूतों, सारे जग को दिखला दो धन दौलत से ऊँचा पद है गंगा का तुम बतला दो