डॉ० दीपांजलि चौहान
कोविड-19 से जंग अभी खत्म नहीं हुई है। यह लड़ाई अभी लंबी चलेगी। भले ही आज कोरोना के खिलाफ जग में पूरी ताकत झोंक दी है। अमेरिका, स्पेन, इटली और ब्रिटेन समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्षा का कुछ नहीं सूझ रहा। हालाकि इस लड़ाई में कई छोट दशा न कमाल किया है आर न सिर्फ इस महामारी का राकन में सफलता पाई है बल्कि मौंतो को रोकरने में भी कामयाब हुए हैं। न्यूजीलैंड करीब 50 लाख की आबादी वाले न्यूजीलैंड में पहला मामला 28 फरवरी को सामने आया। इसके बाद प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डन ने सख्त फैसले लिए, नतीजा 11 अप्रैल तक वहाँ मात्र 1312 मामले सामने आए और सिर्फ चार लोगों की मौत हुई। 471 लोग बीमारी से परी तरह ठीक भी हो चुके हैं। तीन अप्रैल से लगातार वहाँ नए मामले में कमी आ रही है। क्या किया? 1. 29 मामले सामने आते ही विदेशियों के देश में प्रवेश पर पाबंदी लगाई। 2. जिस दिन भारत में लॉकडाउन हुआ उसी दिन से वहाँ भी लॉकडाउन लागू। 3. दूसरे देश से आने वाले अपने देश के लोगों को भी 20 दिन तक अस्पतालों में रखा जा रहा है।
ताइवान चीन से सटे ताइवान में संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा था लेकिन राष्टपति साई दंग वेन की कोशिशों की वजह से न सिर्फ संक्रमण फैलने पर काब पाया जा सका बल्कि मौतें भी काफी कम हई। अब तक इस देश में सिर्फ 388 लोग कोरोना से संक्रमित हुए और मात्र छह लोगों की मौत हुई है। कुल 109 लोग इस बीमारी से उबर भी चुके हैं। ताइवान की आबादी 2.38 करोड़ है। क्या किया? 1. बाहर से आने वाले विमानों की लैडिंग के दौरान ही यात्रियों की स्क्रीनिंग की। 2. क्वारंटाइन से जुडे आदेशों का उल्लंघन करने पर 25 लाख तक जर्माना लगाया3. सामूहिक समारोहों वे धार्मिक सेवाओं पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया गया। डेनमार्क करीब 56 लाख की आबादी वाले डेनमार्क में 27 फरवरी को संक्रमण का पहला केस सामने आया। प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन ने उसेस पहले ही इससे निपटने की तैयारी शुरु कर दी थी। नतीजा रहा कि जहाँ यूरोप के अन्य देशों में तेजी से संक्रमण फैला वहीं डेनमार्क में अब तक मात्र 5996 मामले सामने आए। इनमें से करीब दो हजार लोग ठीक भी हो चुके हैं जबकि 260 लोगों की मौत हुई हैक्या किया? 1. डेनमार्क पहला यूरोपीय देशा था जिसने 13 मार्च को अपनी सीमाएँ सील की थी। 2. 13 से 27 मार्च तक लॉकडाउन का ऐलान, तब तक कई देश सिर्फ विचार कर रहे थे3. गायकों- संगीतकारों तक को आर्थिक पैकेज. ताकि लोग घरों से बाहर न निकलें। फिनलैंड यूरोपीन देश फिनलैंड की आबादी 55 लाख है और इस समय देश की कमान इन दिनों दुनिया की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री सना मारीन के हाथों में है। 15 फरवरी को जब पहला केस सामने आया तभी उन्होंने सख्त पाबंदियों की घोषणा कर दीयही वजह कि दुनिया के सबसे खुशहाल फिनलैंड में सिर्फ 2905 मामले सामने आए और मात्र 49 लोगों की मौत हई300 से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैंक्या किया? 1. देश में आने या बाहर जाने पर रोक लगा दी गई और घर-घर जाकर टेस्ट हो रहा। 2. लोगों को अधिक से अधिक सेल्फ आइसोलेट करने के लिए कहा गया 3. स्कूल-कॉलेज, सांस्कृतिक और खेलकूद सुविधाएँ तत्काल बंद कर दी गई। अमेरिका-यूरोप में तबाही मचाई कोरोना ने चीन के मुकाबले अमेरिका-यूरोपीय देश इटली, फ्राँस और स्पेन में ज्यादा तबाही क्यों मचाई, इसकी गुत्थी सुलझती नजर आ रही है। कैंबिज यूनिवर्सिटी के शोध से खुलासा हुआ है कि चीन से निकले वायरस ने तीन रूप बदले। यूरोप और अमेरिका में इसने ज्यादा जानलेवा रूप धारण कर एक लाख लोगों की जान ले ली। कैंबिज के आनुवांशिक वैज्ञानिकों ने पूरी दुनिया में वायरस अलग-अलग 160 नमूनों के जीनोम का रिकॉर्ड खंगाला। इससे इसकी तीन अलग-अलग वंशावली सामने आई, जिसे ए,बी और सी नाम दिया गया। वायरस ची ने बाहर रूप बदलकर घातक हा गया। इटली-स्नेप के नागरिकों में ऐसे संक्रमण झेलने की उतनी प्रतिरोधी क्षमता नहीं थी, जितनी चीन के लोगों में थी। चीन में सार्स, मर्स जैसे वायरस ने हमला किया है, लिहाजा वहाँ कम कहर बरपा। अलग रूप शोधकर्ताओं ने कहा, कोरोना के जिस रूप ने ब्रिटेन को निशाना बनाया, वह चीन में वायरस के नमूने से अलग था। ब्रिटेन में यह सिंगापुर, दक्षिण, कोरिया या हांगकांग से आया। कोरोना सिंगापुर और जर्मनी से इटली में ज्यादा विनाशकारी दिखाई दिया। वहीं अमेरिका में वायरस का शुरुआती संक्रमण ए टाइप का था, जो चीन से आया था। पर बाद में यूरोप से इसका घातक नमूना वहाँ पहुँचा जिससे वहाँ भी रिकॉर्ड मौतें हो रही हैं। 24 दिसंबर 2019 से चार मार्च तक कई देशों से 160 वायरस जीनोम के नमनों का यह अध्ययन जनरल प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुआपहला नरम : कोविड-19 का पहले प्रकार (ए) मूल वायरस था, जो मुख्य रूप से चमगादड़ और पैंगोलिन में पाया जाता है। इन्हीं के जरिये वुहान से यह वायरस इंसानों तक पहुँचा। दूसरा ज्यादा ताकतवर : ए से निकला वायरस का दूसरा रूप (बी) कई देशों में फैला, पर चीन में केंद्रित रहा। प्रतिरोधी क्षमता के हिसाब से रूप बदल हजारों जानें लीं। तीसरा सबसे घातक : वायरस का तीसरा रूप सी सबसे घातक रहा, जो ब्रिटेन और यूरोप के देशों में देखा गया। चीन में वायरस का यह नमूना कहीं नहीं मिला।भारत में कमजोर : एम्स के पूर्व निदेशक एमसी मिश्रा के मताबिक, भारत में वायरस का कमजोर स्ट्रेन देखा गया। बाद में यह आक्रामक हो सकता है। दोबारा संक्रमण का खतरा ____कोविड-19 वायरस को लेकर रहस्य गहराता जा रहा हैवैज्ञानिकों के अध्ययनों में पहले यह बात सामने आई थी कि 25 फीसदी लोगों में बीमारी के लक्षण प्रकट नहीं होते, वहीं नए अध्ययन में यह बात सामने आई कि ठीक हो चुके करीब आठ फीसदी संक्रमितों में एंटीबॉडीज नहीं बन रहे। एंटीबॉडीज संक्रमण के खिलाफ काम करते हैं। अब सवाल उठने लगा है कि क्या वह वायरस हमारे शरीर के प्रतिरोधक तंत्र को खराब कर रहा है? ___ यह शोध भारत के संदर्भ में भी महत्त्वपर्ण है. क्योंकि सरकार कोविड हॉटस्पॉट में एंटीबाडीज के आधार पर संग्दिध मरीजों की जाँच शुरू करने जा रही है। लेकिन यदि शरीर में एंटीबॉडीज बनेंगे ही नहीं तो मरीज की पहचान कैसे हो पाएगी। चीन के फुदान विश्वविद्यालय ने अस्पताल ने 130 स्वस्थ हो चुके मरीजों में एंटीबॉडीज की जाँच कीइनमें आठ फीसदी यानी दस मरीजों में एंटीबॉडीज मिले ही नहीं। 30% में एंटीबॉडीज मिले पर उनकी मात्रा बेहद कम थी। जिन मरीजों में एंटीबॉडीज नहीं पाए गए, उन दस में से नौ की उम्र 40 साल से नीचे थी। आधा रह गया प्रदूषण स्तर कोरोना वायरस जहाँ इंसानों के फेफड़ों में संक्रमण फैलाकर र संकट पैदा कर रहा हैवहीं दसरी ओर कोरोना से बचने के लिए लागू 21 दिनों के लॉकडाउन से घटे प्रदूषण के कारण फेफड़ों को स्वच्छ हवा में खुलकर सांस लेने का मौका भी मिला है। तीन हफ्तों के लॉकडाउन के दौरान दिल्ली, मुंबई और पुणे जैसे बड़े शहरों से वायु प्रदूषण में 50 फीसदी की गिरावट हुई है। दिल्ली के अलावा मुंबई, पुणे और अहमदाबाद में भी दमघोंटू प्रदूषण से कराहने वाले बुजुर्ग, अस्थमा के मरीज आदि अब खुलकर सांस ले पा रहे हैं। इस समय ने पर्यावरण एजेंसियों को न केवल तमाम जहरीली गैसों में प्रदूषण की असली वजह जानने का अच्छा अवसर भी दिया है, बल्कि यह भी संभव हुआ ह कान सा तत्व कितना प्रदूषण फैला रहा है। प्रदषण स्तर मापने वाली एजेंसी सफर के कार्यक्रम संयोजक गफरेन बेग ने कहा कि हम यह पता लगा पा रहे हैं कि औद्योगिक कारखाने, वाहन या अन्य तत्वों में कौन कितना प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। अप्रैल 2020 में भारत में प्रदूषण का एक्यूआई का स्तर रिकॉर्ड स्तर पर नीचे आया है। बढ़ती गर्मी के अलावा लॉकडाउन बड़ा कारण है। सुरक्षित रहने के उपाय लॉकडाउन में 24 घंटे घर में रहने के दौरान आपको खाना बनाने से लेकर साफ सफाई के सभी काम खुद करने पड़ रहे हैं। आपको यह जानकर अच्छा लगेगा कि ये काम न केवल आपको बहुत सी बीमारियों से दूर रखते हैं बल्कि बगैर जिम जाए फिर रखने में भी बहुत मददगार होते हैं। कई विशेषज्ञों का कहना है कि आपके रोजमर्रा के काम अच्छे व्यायाम भी हो सकते हैं। ऐसे में लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी आपको इन कामों को खुद करने की आदत बनाए रखनी चाहिए। झाडू लगाना : ये काम हमेशा से घर की महिलाएँ करती आई हैं। यही वजह है कि पुरुषों के मुकाबले वे ज्यादा जीती हैंझाडू लगाने से आप रोज 200 कैलोरी तक बर्न कर सकते हैं, जिससे वजन कम करने में भी मदद मिलेगी। इसके और भी कई फायदे हैं। जहाँ आपके हाथ सुडौल होंगे, वहीं कमर के पास जमा चर्बी भी खत्म होगी। आपकी मांसपेशियाँ भी खुलती हैं। झाडू लगाते वक्त शरीर की मुद्राओं का भी ध्यान रखें और दोनों हाथों का प्रयोग करें। फर्श की सफाई : भले ही यह काम आपको पसंद न हो, पर इसकी आदत जरूर डाल लीजिए। बाथरूम का शावर, सिंक और फर्श साफ करने से लॉक हो चुके कंधों को खोलने में बहुत मदद मिलती है। ध्यान रहे कि दोनों हाथों का समान रूप इस्तेमाल हो ताकि इस काम का सकारात्मक प्रभाव भी एक जैसा हो। अगर से काम आप रोज करते हैं तो एक घंटे में 220 कैलोरी तक बर्न की जा सकती है। बाथरूम में काम करते वक्त सावधानी भी जरूर बरतें। स्वच्छता का विज्ञान : ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक व्यायाम के अलावा हर दिन अगर बीस मिनट शारीरिक गतिविधियाँ की जाएँ तो झुंझलाहट और तनाव 20 फीसदी तक घटता है। शोध में यह भी बताया गया है कि अगर लोग दफ्तर से लौटकर घर व्यवस्थित करने जैसे काम करते हैं तो तनाव घटने के साथ ही उन्हें नींद अच्छी आती है। खाना बनाने, घर संवारने जैसे काम परिवार को जोडते हैं और सकारात्मकता लाते हैं। धूम्रपान से बचें कोविड-19 संक्रमण से बचना है तो धूम्रपान से तौबा करने में ही भलाई हैं बीड़ी-सिगरेट से संक्रमित होने का खतरा हैअगुलियों और होठो के संपर्क में आकर आसानी से संक्रमण फैल सकता है। हालाँकि सरकार ने सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक लगा रखी है, फिर भी लोग चोरी-चुपके इसका प्रयोग कर रहे हैं और अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। इन उत्पादों का सेवन कर इधर-उधर थूकने से भी संक्रमण का खतरा था, इसलिए सकरार ने खले में थकने पर भी रोक लगा दी है इसका उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि धूम्रपान से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। कोरोना जैसे वायरस सबसे पहले ऐसे लोगों को ही अपनी चपेट में लेते हैं जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। बीमारी की चपेट में आने पर ऐसे लोगों के इलाज पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यही कारण है कि धूम्रपान करने वालों को कोरोना का खतरा कई गना अधिक रहता है। कोरोना का वायरस छींकने. खाँसने और थकने से निकलने वाली बँदों के जरिये एक दूसरे को संक्रमित करता है। धम्रपान से श्वसन प्रणाली, साँस की नली और फेफड़ों को भारी नुकसान पहुंचता है। फेफड़ों की कोशिकाएँ कमजोर होती हैं।