सही अर्थों में आज हम अपनी परंपराएँ, अपनी संस्कृति यहाँ तक कि इस प्रकृति को भी भूलते जा रहे हैं। सामाजिकता का मूल्य किसी हद तक समाप्त सा हो चुका है। परंतु इसके विपरित आज भी कुछ ऐसी शखसियतें हैं जो हमारी परम्पराओं को जिंदा रखे हुए हैं। आज हम यहाँ जिस शखसियत से परिचय करा रहे हैं, उनका नाम है- मनीषा भूषण। अपनी निश्छल एवं स्वच्छ छवि के कारण आज मनीषा भूषण का समाज में सम्मानपूर्वक नाम लिया जाता है। 29 मार्च 1979 को सोनभद्र (पूर्वांचल) में जन्मी मनीषा भूषण के पिता का नाम ओंकारनाथ भूषण तथा माता का नाम श्रीमती (स्व०) शीला भूषण है। आपके पति श्री विपिन कुमार मैनवाल सदैव आपको प्रोत्साहित करते हैं। आपने एम०ए० की परीक्षा चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय (रघुनाथ गर्ल्स पी०जी० कॉलेज) से प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की। साथ ही आपने महाविद्यालय में प्रथम एवं विश्वविद्यालय में द्वितीय स्थान प्राप्त कर दोनों का गौरव बढ़ाया। आपने बी०एड० की परीक्षा चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय से प्रथम स्थान में उत्तीर्ण कर एक कदम सफलता की ओर और बढ़ा दियाआप राजकीय महाविद्यालय (एम जेपी रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली) में पिछले 10 वर्षों से अध्यापन कार्य में संलग्न हैं। वर्तमान में आप राजकीय महिला महाविद्यालय, बदायूँ में समाजशास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर कार्यरत हैं। एक सफल शिक्षिका होने के साथ-साथ आपकी रुचि, संगीत, साहित्य, समाजसेवा में भी है, जिसके कारण आप अनेक प्रतिष्ठित, सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़ी हैं। आपके द्वारा लिखे आलेख व रचनाएँ निरंतर पत्र-पत्रिकाओं में पढ़ने को मिल जाते हैं। अपने विद्यालय के अतिरिक्त अनेक विद्यालयों के समारोज /सेमिनार/ कार्यशालाओं मे भी आपकी अहम भूमिका रहती है। यही कारण है कि आज आप समाज के लिए एक सम्मानित व्यक्तित्व बन चुकी हैं। कला, संगीत और साहित्य के प्रति आपकी रुचि होने के कारण आपको अनेक प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। यही नहीं आप अपने खाली समय में अनेक असहाय बच्चों को निःशुल्क शिक्षा भी प्रदान करती हैं, साथ ही उनके साथ मिलकर समाज सेवा के कार्यों को भी अंजाम देती हैं। हम सभी के लिए यह गर्व की बात है कि मनीषा भूषण जैसा व्यक्तित्व हमारे समाज में है, जो हमारी भावी पीढ़ी को एक नई दिशा देने के लिए अग्रसर है। हमें आशा ही नहीं, अपितु पूर्ण विश्वास है कि ऐसी शिक्षाविद्, समाजसेविका से अवश्य ही हमारी आने वाली पीढ़ियाँ कुछ सीखेंगी।
भारतीय परम्पराओं को सहेजती मनीषा भूषण