राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती पर मोदी सरकार एक ही बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक की छुट्टी करने जा रही है। दरअसल इस तरह की प्लास्टिक भले ही सहज हो लेकिन इसका पर्यावरण और इंसान पर पड़ने वाला नुकसान बहुत ज्यादा है। आइए आज जानते हैं कि सिंगल यूज प्लास्टिक होती क्या है, इसवेफ खतरनाक परिणाम क्या है और इसकी जगह किन चीजों को इस्तेमाल किय जा सकता है।
सिंगल यूज प्लास्टिक
सिंगल यूज प्लास्टिक एक ही बार वेफ लायक प्लास्टिक। प्लास्टिक की थैलियाँ, प्याले, प्लेट, छोटी बोतलें, स्ट्राॅ और वुफछ पाउच सिंगल यूज प्लास्टिक हैं ये दोबारा इस्तेमाल वेफ लायक नहीं होती हैं। इसलिए एक बार इस्तेमाल वेफ बाद इनको पेंफक दिया जाता है। दरअसल आधी से ज्यादा इस तरह की प्लास्टिक पेट्रोलियम आधारित उत्पाद होते हैं। इनवेफ उत्पादन पर खर्च बहुत कम आता है। यही वजह है कि रोजाना वेफ बिजनेस और कारोबारी इकाइयों में इसका इस्तेमाल खूब होता है। उत्पादन पर इसवेफ भले ही कम खर्च हो लेकिन पेंफके गए प्लास्टिक वेफ कचरे, उसकी सपफाई और उपचार पर कापफी खर्च होता है।
कितनी खतरनाक?
इस तरह की प्लास्टिक के अंदर जो रसायन होते हैं, उनका इंसान और पर्यावरण वेफ स्वास्थ्य पर कापफी बुरा असर पड़ता है। प्लास्टिक की वजह सें मिट्टी का कटाव कापफी होता है। इसवेफ अंदर का वेफमिकल बारिश वेफ पानी वेफ साथ जलाशयों में जाता है, जो कापफी खतरनाक है। प्लास्टिक से जुड़े वुफछ होश उड़ाने वाले तथ्य निम्न हैंµ
दुनियाभर में हर मिनट लोग करीब 10 लाख प्लास्टिक की बोतल खरीदते हैं।
जितनी प्लास्टिक इस्तेमाल होती है, उनका 91 पफीसदी करीब रिसाइकल नहीं होता।
एक अनुमान वेफ मुताबिक, हर साल दुनिया में करीब 40 हजार करोड़ प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल होता है। उनमें से सिर्पफ 1 पफीसदी थैलियाँ की रिसाइकलिंग होती है।
हर दिन दुनिया भर में करीब 5 लाख स्ट्रा का इस्तेमाल होता है।
हर दिन करीब 500 अरब प्लास्टिक वेफ प्याले का इस्तेमाल होता है।
एक रिपोर्ट वेफ मुताबिक, हर साल करीब 11 लाख समुद्री पक्षियों और जानवरों की प्लास्टिक की वजह से मौत होती है। इसवेफ अलावा 90 पफीसदी पक्षियांें और मछलियों के पेट में प्लास्टिक पाई गई। दरअसल प्लास्टिक छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटकर समुद्र वेफ अंदर रहती है। जब समुद्र वेफ अंदर भोजन की तलाश में मछलियाँ और अन्य समुद्री जानवर जाते हैं। तो वे गलती से इसका सेवन कर जाते हैं। एक रिसर्च वेफ मुताबिक, करीब 700 समुद्री जीवन प्लास्टिक प्रदूषण वेफ कारण लुप्त होने की कगार पर है।
अगर आप सोचते हैं कि सिर्पफ जानवर ही इससे प्रभावित हो रहे हैं। और इसका सेवन गलती से कर जाते हैं तो यह आपकी गलतपफहमी है। इंग्लैंड वेफ शोधकर्ताओ ने एक स्टडी की थी जिसमें यह सामने आया कि एक इंसान औसतन हर साल 70 हजार माइव्रफोप्लास्टिक का सेवन कर जाता है।
विकल्प
प्लास्टिक स्ट्रों की जगह पेपर वेफ बने स्ट्राॅ का इस्तेमाल किया जा सकता है या पूरी तरह से स्ट्राॅ से परहेज किया जा सकता है।
प्लास्टिक की पानी की बोतलों की जगह शीशा, धातु और काॅपर की सेरामिक की बनी बोतलों का इस्तेमाल करें। ये मार्केट में आसानी से उपलब्ध हैं।
प्लास्टिक वेफ कप की जगह दोबारा इस्तेमाल होने वाले कप लेकर अपने साथ जाएँ। आप पेपर की प्याली भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
प्लास्टिक की थैली की जगह जूट की बनी थैली या कागज की बनी थैली का इस्तेमाल कर सकते हैं।
प्लास्टिक की चाकू, चम्मच आदि वेफ स्थान पर स्टेनलेस स्टेल की चाकू इस्तेमाल कर सकते हैं लकड़ी के चम्मच भी मावेर्फट में उपलब्ध हैं। उनको इस्तेमाल कर सकते हैं।
सरकार द्वारा 2 अक्टूबर से एक बार उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने वेफ प्रस्ताव वेफ साथ प्लास्टिक उद्योग का कहना है कि वह आगे किसी तरह की पहल करने से पहले मामलों में स्पष्ट परिभाषा का इंतजार कर रहा है। प्लास्ट इंडिया पफाउंडेशन वेफ अध्यक्ष जिगीश दोषी ने प्लास्ट इंडिया वेफ 11वें संस्करण की शुरूआत वेफ मौके पर बताया, फ्हम सभी बेसब्री से एकबारगी इस्तेमाल वाले प्लास्टिक ;सिंगल यूज प्लास्टिकद्ध की परिभाषा का इंतजार कर रहे हैं इस परिभाषा में पाॅलिथीन कैरी बैग की मोटाई को तय किया जाएगा कि क्या यह वह 50 माइव्रफोन से कम होगा? हमें उम्मीद है कि एक बार इस्तेमाल वाले प्लास्टिक की परिभाषा जल्द सामने आयेगी और सारे भ्रम को दूर होंगे।य्
प्लास्ट इंडिया पफाउंडेशन देश में प्लास्टिक से जुड़े प्रमुख संघों, संगठनों और संस्थानोें की सर्वोच्च संस्था है। उन्होंने कहा, इस बीच अगर बगैर स्पष्ट परिभाषा के प्रतिबंध को लागू किया जाता है तो निश्चित रूप से उद्योग पर वुफछ प्रभाव पड़ेगा और उद्योग से सीधे तौर पर कार्यरत पांच लाख लोग और 50 लाख अन्य लोग अपनी आजीविका खो देंगे। मौजूदा समय में यह उद्योग प्रत्यक्ष रूप से लगभग एक करोड़ लोगों को और अप्रत्यक्ष रूप से 10 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वेफ लिए बहुत से कारण जिम्मेदार है जिनमें प्लास्टिक एक बहुत बड़ा खतरा बनकर उभरा है। दिन की शुरूआत से लेकर रात में बिस्तर में जाने तक अगर ध्यान से गौर किया जाए तो आप पाएँगे कि प्लास्टिक ने किसी न किसी रूप में आपवेफ हर पल पर कब्जा कर रखा है।
टूथब्रश से सुबह ब्रश करना हो या आॅपिफस में दिनभर कम्प्यूटर का काम, बाजार से कोई सामान लाना हो या टिपिफन और वाॅटर बाॅटल में खाना और पानी लेकर चलना। प्लास्टिक हर जगह है, हर समय है। आइए पहले जानते हैं प्लास्टिक से जुड़े वुफछ ऐसे तथ्य जो पर्यावरण वेफ प्रति प्लास्टिक से अपने खतरे की तस्वीर सापफ करते हैं।
पूरे विश्व में प्लास्टिक का उपयोग इस कदर बढ़ चुका है और हर साल पूरे विश्व में इतना प्लास्टिक पेंफका जाता है कि इससे पूरी पृथ्वी वेफ चार घेरे बन जाएं। प्लास्टिक वेफमिकल बीपीए शरीर में विभिन्न स्रोतों से प्रवेश करता है। एक अध्ययन में पाया गया कि 6 साल से बड़े 93 प्रतिशत अमेरिकन जनसंख्या प्लास्टिक वेफमिकल बीपीए ;वुफछ किस्म की प्लास्टिक सापफ और कठोर होती हैं, जिसे बीपीए बेस्ड प्लास्टिक कहते हैं, इसका इस्तेमाल पानी की बाॅटल, खेल वेफ सामान, सीडी और डीवीडी जैसी कई वस्तुओं में किया जाता हैद्ध तो अवशोषित कर लेती है। अरबों पाउंड प्लास्टिक पृथ्वी वेफ पानी स्रोतों खासकर समुद्रों में पड़ा हुआ है। 50 प्रतिशत प्लास्टिक की वस्तुएँ हम सिर्पफ एक बार काम में लेकर पेंफक देते हैं। प्लास्टिक वेफ उत्पादन में पूरे विश्व वेफ वुफल तेल का 8 प्रतिशत तेल खर्च हो जाता है। प्लास्टिक को पूरी तरह से खत्म होने में 500 से 1000 साल तक लगते हैं। प्लास्टिक के एक बैग में इसवेफ वजन से 2000 गुना तक सामान उठाने की क्षमता होती है।
हम जो कचरा पेंफकते हैं उसमें प्लास्टिक का एक बड़ा हिस्सा होता है। क्या आपने कभी सोचा यह कचरा जाता कहाँ हैं? आप कहेंगे कि अचानक इस सवाल की जरूरत कैसे आन पड़ी।
सवाल का जवाब पाने के लिए करते हैं थोड़ा इंतजार और पहले प्लास्टिक से जुड़े कुछ तथ्यों पर नजर डालते हैं। पृथ्वी पर सभी देशों में प्लास्टिक का इस्तेमाल इतना बढ़ चुका है कि वर्तमान में प्लास्टिक के रूप में निकलने वाला कचरा विश्व पर्यावरण विद्वानों के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। विकसित देश अक्सर भारत जैसे विकासशील या अन्य विभिन्न अविकसित देशों में इस तरह का कचरा भेज देते हैं। अथवा ऐसे कचरे को जमीन में भी दबा दिया जाता है। जमाने में दबा यह कचरा पानी वेफ स्रोतों को प्रदूषित कर हमारे जीवन के लिए बड़े खतरे के रूप में सामने आता है। प्लास्टिक की चीजें, जितनी भी आप सोच सकते हैं। अक्सर ही पानी वेफ स्रोतों में बहुत ज्यादा मात्रा में पड़ी मिलती है।
प्लास्टिक नाॅन बाॅयोडिग्रेडेबल होता है। नाॅन-बाॅयोडिग्रेडेबल ऐसे पदार्थ होते हैं जो बैक्टीरिया के द्वारा ऐसी अवस्था में नहीं पहुँच पाते हैं जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान न हों। कचरे की रिसायकलिंग बेहद जरूरी है क्योंकि प्लास्टिक की एक छोटी सी पोलिथीन को भी पूरी तरह से छोटे पार्टिकल्स में तब्दील होने में हजारों सालों का समय लगता है और इतने ही साल लगते हैं प्लास्टिक की एक छोटी सी पाॅलीथीन को गायब होने में।
जब प्लास्टिक को कचरे वेफ तौर पर पेंफका जाता है यह अन्य जीवों की तरह खुदबखुद खत्म नहीं होता। जैसा कि हम जानते हैं कि इसे खत्म होने में हजारों साल लगते हैं। यह पानी वेफ स्रोतों में मिलकर पानी प्रदूषित करता है।
प्लास्टिक बैग्स बहुत से जहरीले कैमिकल्स से मिलकर बनते हैं। जिनसे स्वास्थ्य और पर्यावरण को बहुत हानि पहुँचती है। प्लास्टिक बैग्स बनाने में जायलेन, इथिलेन आॅक्साइड और बेंजेन जैसे वैफमिकल्स का इस्तेमाल होता हैं इन वेफमिकल्स से बहुत सी बीमारियाँ और विभिन्न प्रकार वेफ डिसार्डर हो जाते हैं। प्लास्टिक के केमिकल पर्यावरण वेफ लिए भी बेहद हानिकाकर होते हैं जिससे इंसान जानवरों, पौधों और सभी जीवित चीजों को नुकसान पहुँचाते हैं प्लास्टिक को जलाने और पेंफकने पर जहरीले केमिकल्स का उत्सर्जन होता है।
वुफछ विकसित देशों में प्लास्टिक के रूप में निकला कचरा पेंफकने वेफ लिए खास वेफन जगह जगह रखी जाती है। इन वेफन में नाॅन बायोडिग्रेडेबल कचरा ही डाला जाता है। असलियत में छोटे से छोटा प्लास्टिक भले ही वह चाकलेट का कवर ही क्यों न हो बहुत सावधानी से पेंफका जाना चाहिए। क्योंकि प्लास्टिक को पेंफकना और जलाना दोनो ही समान रूप से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुँचाते हैं। प्लास्टिक जलाने पर भारी मात्रा में वेफमिकल उत्सर्जन होता है। जो सांस लेने पर शरीर में प्रवेश कर श्वसन प्रव्रिफया पर प्रतिवूफल प्रभाव डालता है। इसे जमीन में पेंफका जाए या गाड़ दिया जाए या पानी में पेंफक दिया जाए, इसवेफ हानिकारक प्रभाव कम नहीं होते।
1. प्लास्टिक के बैग्स को संभाल कर रखें। इन्हें कई बार इस्तेमाल में लाएँ। सामान खरीदने जाने पर अपने साथ कैरी बैग ;कपड़े या कागज वेफ बनेद्ध लेकर जाएं।
2. ऐसे प्लास्टिक वेफ इस्तेमाल से बचे जिसे एक बार इस्तेमाल के बाद ही पेंफकना होता हैं जैसे प्लास्टिक के पतले ग्लास, तरल पदार्थ पीने की स्ट्राॅ और इसी तरह का अन्य सामान।
3. मिट्टी के पारंपरिक तरीवेफ वेफ बने बर्तनों वेफ इस्तेमाली को बढ़ावा दें।
4. प्लास्टिक सामान को कम करने की कोशिश करें धीरे-धीरे प्लास्टिक से बने सामान की जगह दूसरे पदार्थ से बने सामान अपनाएँ।
5. प्लास्टिक की पीईटीई ;च्म्ज्म्द्ध और एचडीपीई ;भ्क्च्म्द्ध प्रकार के सामान चुनिए। यह प्लास्टिक आसानी से रिसाइकल हो जाता है।
6. प्लास्टिक बैग और पाॅलिथीन पफोम को कम से कम इस्तेमाल करने की कोशिश करें। इनका रिसायकल रेट बहुत कम होता है।
7. आप कम से कम प्लास्टिक सामान पेंफकने की कोशिश करें
8. अपने आसपास प्लास्टिक के कम इस्तेमाल को लेकर चर्चा करे।
9. हमारे देश में भी कई ऐसे स्थापित हो गए हैं जहाँ प्लास्टिक रिसाइकल किया जाता है। अपने कचरे को वहाँ पहुँचाने की व्यवस्था करें।
10. खुद प्लास्टिक को खत्म करने की कोशिश करें। न पानी में, न जमीन पर और न ही जमीन वेफ नीचे प्लास्टिक खत्म होता है। इसे जलाना भी पर्यावरण वेफ लिए अत्यधिक हानिकारक है।
प्लास्टिक बैग्स से होने वाले पर्यावरण को नुकसान को कम करने की दिशा में हर एक इंसान वुफछ बेहद जरूरी कदम उठा सकता है। सतर्कता और जागरूकता दो बेहद जरूरी चीजें हैं जिनसे प्लास्टिक वेफ खिलापफ अपनाया जा सकता है। प्लास्टिक बैग्स से होने वाले नुकसान की जानकारी अपने आप में नाकापफी है। जब तक इसवेफ नुकसान जानने वेफ बाद ठोस कदम न उठाए जाएँ। सरकार और पर्यावरण संस्थाओं के अलावा भी हर एक नागरिक की पर्यावरण वेफ प्रति वुफछ खास जिम्मेदारियाँ हैं जिन्हें अगर समझ लिया जाए तो पर्यावरण को होने वाले हानि को बहुत को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। खुद पर नियंत्राण इस समस्या को कापफी हद तक कम कर सकता है।
सिंगल यूज प्लास्टिक