कोरोना पर काबू पाने की जद्दोजहद में जुट वैज्ञानिकों ने नई दवाओं की खोज वेफ साथ ही वायरस वेफ खात्मे में पहले से उपलब्ध् औषध्यिों वेफ प्रयोग की संभावनाएँ खंगालनी शुरफ कर दी हैं, जिसमें हाइड्राॅक्सीक्लोरोक्वीन से लेकर रेमेडिसवीर शामिल है। आइए! जानें, इन दवाओं को लेकर जारी शोध् से अभी तक क्या निष्कर्ष निकाला हैंµ
ईआईडीडी-2801 ;अमेरिकाद्ध
सार्स-कोव-2 वायरस वेफ आरएनए में उसकी मारक क्षमता को कमजोर बनाने वाला म्यूटेशन ;अनुवांशिक बदलावद्ध लाती है यह एंटीवायरल दवा। इसमें आरएनए जैसे-जैसे अपनी प्रतियाँ बनाता जाता है, वैसे-वैसे कोरोना वायरस की मानव कोशिकाओं को संव्रफमित करने की ताकत घटने लगती है। ईआईडीडी- 2801 को नसों वेफ रास्ते शरीर में पहुँचाने की जरूरत नहीं, गोली वेफ रूप में खा सकता है मरीज, अमेरिका में इनसानी परीक्षण की मिली मंजूरी।
पेफविपीरावीर/एविगन ;जापानद्ध
‘लाइव साइंस’ वेफ अनुसार फ्रलू वेफ इलाज में इस्तेमाल होने वाली एंविगन शुरफआती चरण में कोविड-19 वेफ लक्षणों से राहत दिलाने में कारगर मिली। लैब टेस्ट में देखा गया है कि यह दवा न सिर्पफ सार्स-कोव-2 वायरस को उसकी संख्या बढ़ाने से रोकती है, बल्कि पेफपफड़ों की कार्यक्षमता भी बढ़ाती है। जापान वेफ औघध् िनियामक ने निर्माता वंफपनी ‘पुफजीपिफल्म तोयामा वेफमिकल’ को मार्च में ही ‘एविगन’ को इनसानों पर आजमाने की इजाजत दे दी थी।
हाइड्राॅक्सीक्लोरोक्वीन / क्लोरोक्वीन
;अमेरिका, चीन, प्रफाँस, द0 कोरियाद्ध
मलेरिया, ल्यूपस, गठिया से पीड़ित मरीजों को दी जाने वाली क्लोरोक्वीन और हाइड्राॅक्सीक्लोरोक्वीन को 2005 में हुए एक शोध् में सार्स वेफ लिए जिम्मेदार सार्स-कोव वायरस का पैफलाव रोकरने में असरदार पाया गया है। चूँकि कोरोना संव्रफमण को जन्म देने वाले सार्स-कोव-2 और सार्स-कोव में कापफी समानताएँ हैं, इसलिए माना जा रहा है कि दोनों दवाएँ सार्स-कोव-2 को भी मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने व अपनी संख्या बढ़ाने से रोक सवेंफगी।
‘जर्नल साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन’ वेफ मुताबिक अमेरिका में कोरोना वायरस से संव्रफमित हुए मरीज वेफ पेफपफड़े और श्वास तंत्रा की कोशिकाओं को टेस्ट ट्यूब में लेकर किए गए शोध् में ईआईडीडी-2801 संव्रफमण का स्तर घटाने में कारगर मिली। चीन वेफ वुहान शहर और शेनजेन में कोरोना वायरस से संव्रफमित हुए 340 मरीजों पर हुए प्रायोगिक परीक्षण हुआ, इस दौरान एविगन न सिर्पफ सर्दी-जुकाम-बुखार वेफ लक्षण घटाने में असरदार मिली, बल्कि इसवेफ इस्तेमाल वेफ कोई साइडइपेफक्ट भी नहीं दिखे।
प्रफाँसीसी शोध्कर्ताओं ने जब संव्रफमित वुफछ मरीजों को हाइड्राॅक्सीक्लोरोक्वीन दी तो उनवेफ शरीर में सार्स-कोव-2 की संख्या में तेजी से कमी आई, एजिथ्रोमाइसीन से दवा का असर और बढ़ गया, लेकिन हाइपरटेंशन, किडनी रोगियों में इस्तेमाल से बचने की सलाह।
रेमेडिसवीर ;अमेरिका, चीनद्ध
इबोला वेफ इलाज वेफ लिए गिलियाड सांइजेस की ओर से विकसित रेमोडिसवीर अपने मकसद पर तो नहीं खरी उतरी, लेकिन बाद वेफ अध्ययनों में इसे सार्स और मर्स वायरस का विकास बाध्ति करने में कारगर पाया गया। ‘जर्नल नेचर’ की मानें तो पफरवरी में जब शोध्कर्ताओं ने दवा में वुफछ बदलाव कर इसे मानव कोशिकाओं पर आजमाया तो यह सार्स-कोव-2 वायरस को संव्रफमित कोशिकाओं से स्वस्थ सेल तक पहुँचने से रोकने में भी सपफल रही। अमेरिका वेफ यूसी डेविस मेडिकल सेंटर सहित वुफछ चिकित्सा प्रतिष्ठानों में कोरोना संव्रफमितों को संव्रफमण की पुष्टि वेफ 36 घंटे वेफ भीतर रेमेडिसवीर देने पर उनवेफ खून में सार्स-कोव-2वायरस वेफ स्तर में भारी कमी देखी गई।
लोसार्टन ;अमेरिकाद्ध
रक्तचाप पर नियंत्राण वेफ लिए इस्तेमाल होने वाली यह दवा प्रायोगिक होने वाली यह दवा प्रायोगिक परीक्षण में कोरोना से संव्रफमित मरीजों में ‘साइटोकीन स्टाॅर्म’ को बाध्ति कर विभिन्न अंगों को पेफल होने से बचाने में असरदार मिली है। दरअसल, लोसार्टन कोशिकाओं में प्रवेश वेफ लिए वायरस की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले एंजियोटेंसिन-2 रिसेप्टर को ब्लाॅक करती है, चूँकि सार्स-कोव-2 भी इसी रिसेप्टर वेफ सहारे सेल में दाखिल होता है, इसलिए दवा से कोरोना वेफ इलाज में भी मदद मिलने की उम्मीद
कोरोना के इलाज की खोज