छः ट्टतुओं में तीन मौसम ऐसे हैं, जिनका आगमन होता है, तो सापफ एहसास हो जाता है कि मौसम बदल गया। लेकिन अब खासतौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रा वेफ भूगोल में एक चैथा मौसम भी जुड़ गया है, जिसे प्रदूषण का मौसम कहा जा सकता है। इन दिनों यहाँ लोग बहुत संभलकर आहिस्ता से सांस लेते हैं। नाक और मुँह खोलकर जोर से सांस खींचिए, तो पता चल जाता है कि आॅक्सीजन वेफ साथ बहुत वुफछ पेफपफड़े तक पहुँच जाता है। यदि पुरजोर सांस लेने वेफ बाद आपको खाँसी आ जाए तो कोई आश्चर्य नहीं। हवा की मूलभूत शु(ता भी गायब हो चुकी है।
इस दिवाली प्रदूषण वेफ कारण पिफर एक बार दिल्ली का मौसम सबसे खराब स्थिति में पहुँच गया हैं मनाही वेफ बावजूद वुफछ मात्रा में पटाखे पूफटे और हवा में जहरीले कणों का अनुपात बढ़ गया। दिवाली वेफ दूसरे दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक यानि एक्यूआई स्तर 368 पर पहुँच गया। हालाँकि मौसम विभाग का कहना है कि इस साल दिवाली वेफ समय प्रदूषण का स्तर पिछले तीन साल में न्यूनतम रहा है, जबकि दिल्ली सरकार इसे विगत पाँच वर्षों का न्यूनतम बता रही है।
राष्ट्रीय राजधानी में हजारों लोगों ने पटाखे छोड़ने वेफ समय की पाबंदी का उल्लंघन किया, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और राजनेताओं की ओर से बार-बार की गई अपील और सुप्रीम कोर्ट वेफ आदेश वेफ बावजूद लोगों में पूरी तरह से जागरूकता नहीं आई है। रविवार मध्य रात्रि तक विषाक्त धुएँ में पीएम 2.5 की मात्रा इतनी बढ़ गई थी कि मानव स्वास्थ्य पर खतरे मंडराने लगे थे। बस यह समझ लीजिए कि सांस लेने वेफ लिए जैसी हवा चाहिए उससे 18 गुना खराब हवा दिल्ली में बह रही थी। हालाँकि अगर 2018 में तुलना करें तो प्रदूषण वेफ इसी वुफख्यात मौसम में आवश्यकता से 26 गुना खराब हवा बह रही थी। कोई शक नहीं, इस समय प्रदूषण वेफ लिए पटाखे सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। विशेषज्ञ अभी भी मानते हैं कि ऐसी खतरनाक स्थिति से बचा जा सकता है, यदि हम दिवाली मनाने वेफ अपने तरीवेफ में बदलाव लाएँ।
विज्ञान और पर्यावरण वेंफद्र की कार्यकारी निदेशक अनुमिता राॅय चैधरी वेफ अनुसार, ‘इस वर्ष वायु गुणवत्ता को खतरनाक स्तर पर पहुँचाने का एकमात्रा कारण पटाखे थे। सरकारी एजेंसियों ने इस दिन प्रदूषण से बचने वेफ लिए हरसंभव प्रयास किए थे। तमाम दूसरे ड्डोत सरकार वेफ नियंत्राण में थे, लेकिन सब वुफछ लोगांे वेफ हाथों में था।’
सुप्रीम कोर्ट वेफ आदेश वेफ अनुसार, वेफवल हरित पटाखे ही चलाए जाने थे। इस बार दिवाली पर हरित पटाखे से भी वेफवल दो किस्मेंµ अनार और पूफलझड़ी ही बाजार में उपलब्ध थी। ये ऐेसे पटाखें हैं, जो ध्वनि उत्पन्न नहीं करते। दिल्ली वेफ पर्यावरण विभाग वेफ एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि दिवाली की रात पटाखा संबंधी जो शोर दिल्ली में सुना गया, वह पूरी तरह से गैरकानूनी था। संदेह जताया जा रहा है कि बेचने वालों वेफ पास पिछले साल वेफ पटाखे बचे हुए थे, वही छिपाकर बेचे गए। हरित पटाखे चलाने वेफ लिए भी महज दो घंटे रात आठ बजेे से दस बजे तक का समय निर्धारित था, पर इसका भी पूरी तरह से पालन नहीं किया गया।
दिवाली को पर्यावरण अनुवूफल बनाने वेफ लिए पुलिस भी सव्रिफय थी। रविवार की रात उसे मात्रा 940 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से 315 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए और रविवार रात शहर भर से 261 लोगों को गिफ्रतार किया गया। करीब 9,500 किलोग्राम पटाखे जब्त किए गए हैं। ध्यान रहे, यह समाज और धर्म से जुड़ा एक ऐसा विषय है, जिसमें पुलिस वेफ लिए कड़ी कार्यवाही करना आसान नहीं होता है। पुलिस भी इस बात को समझती है। दिल्ली वेफ एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है, ‘हमने खुद आगे बढ़कर ज्यादा कार्यवाही नहीं की। हम वेफवल उन मामलों में कार्यवाही कर रहे थे, जहाँ हमें शिकायतें मिल रही थीं। कई मामलों में जब हम घटनास्थल पर पहुँचे, तब उल्लघंन देखा, पुलिस को सूचित किया। इसवेफ अलावा निर्माण-कार्यों से हो रहे प्रदूषण पर भी लगाम कसी गई है। दस दिनों में 5,877 से अधिक चालान किए गए हैं। प्रदूषण पैफला रहे निर्माण-कार्यों को रोका गया हैं
दिल्ली में सरकार द्वारा तैनात किए गए वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों वेफ आंकड़ों वेफ विश्लेषण वेफ अनुसार, रविवार को शाम चार बजे का पीएम 2.5 का औसत सबसे कम था, पर यह धीरे-धीरे बढ़ा और नौ बजे उँफचाई पर पहुँच गया। मध्य रात्रि में भी प्रदूषण का स्तर चरम पर रहा।
वुफछ कदमों से प्रदूषण पिछले साल की तुलना में भले थोड़ा घटा हो, पर यह प्रशंसनीय सुधार नहीं है। लेकिन दिल्ली सरकार खुश है, जिसने प्रतिबंधित पटाखों को रोकने वेफ लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए थे। वह सापफ कह रही है, स्थिति पिछले वर्षों की तुलना में बेहतर हुई है, इसमें कोई संदेह नहीं है।
दिल्ली सरकार ने कनाॅट प्लेस में लेजर लाइट शो का आयोजन किया था। वहाँ बिना पटाखों वेफ दिवाली मनाई गई। दिल्ली वेफ मुख्यमंत्राी अरविंद वेफजरीवाल ने कहा, मंै मानता हूँ, प्रदूषण अभी भी अधिक है और इसे और नीचे लाने की आवश्यकता है। प्रदूषण वेफ खिलापफ लड़ाई का उल्लेख करते हुए दिल्ली वेफ मुख्यमंत्राी ने कहा, फ्अगर लोग दृढ़ हैं, तो हम असंभव को संभव कर सकते हैं।’
आगजनी और दुर्घटना में कमी
पिछले वर्षों से तुलना करें, तो इस वर्ष पटाखों का उपयोग कम था। खतरनाक पटाखों का इस्तेमाल तो और भी कम हुआ है। दिवाली पर हम साल बड़ी संख्या में लोग घायल होते थे। घायल होकर अस्पताल पहुँचने वालों की संख्या में इस बार 25 प्रतिशत से ज्यादा कमी आई। वर्ष 2018 में दिल्ली वेफ अस्पतालों में 363 मरीज पहुँचे थे, पर इस बार 196 पहुँचे। इस बार आग लगने की घटनाएँ भी कम हुई हैं, पिछली बार जहाँ आगजनी की 271 घटनाएँ हुई थीं, वहीं इस बार 243 घटनाएँ हुईं।
तेज हवाओं से लाभ
विशेषज्ञों का कहना है, इस साल हवा वेफ कारण भी प्रदूषण थोड़ा कम हुआ है। पिछले वर्षों में हवा भी थम-सी जाती थी, जिससे प्रदूषण का स्तर और खतरनाक हो जाता था। विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि हवा तेज चले या बारिश हो जाए, तो यह प्रदूषण एकदम से घट सकता है। अनुमिता राॅय चैधरी वेफ अनुसार, ‘इस बार की दिवाली 2018 की तुलना में ज्यादा गरम और हवादार थी। पिछले साल प्रदूषण की चरम अवस्था दिवाली वेफ दूसरे दिन सुबह आठ बजे तक निरंतर बनी रही थी, लेकिन इस बार सुबह तीन बजे वेफ बाद प्रदूषण की चरम अवस्था में भारी गिरावट देखी गई।’ इस बार हवा वेफ बहाव ने भी हमें वुफछ बचाया है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं, हवा वेफ भरोसे बैठने से काम नहीं चलेगा, हमें प्रदूषण रोकने वेफ कड़े उपाय करने पड़ेगे।
पराली का खतरा
भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान, कानपुर वेफ वैज्ञानिकों द्वारा किए गए विश्लेषण वेफ अनुसार, आने वाले पखवाडे़ की पहचान उस अवधि वेफ रूप में की गई है, जब प्रदूषण की समस्या गंभीर हो जाएगी। इस अवधि में पंजाब और हरियाणा वेफ खेतों में पराली जलाने से उठने वाला धुआँ बड़ी मात्रा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रा से होकर गुजरेगा। यह ऐसा समय है, जब मौसम ठंडा हो रहा होता है और हवा का बहाव धीमा रहता है, जिसकी वजह से प्रदूषण एकत्रा होता है और वातावरण में विषैले मिश्रण का निर्माण होता हैं आने वाले दिनों में पराली जनित प्रदूषण बढ़ेगा।
बीमारियों की मार
पीएम 2.5 वेफ उच्च स्तर वेफ संपर्वफ में रहने पर अल्पावधि में अस्थमा और लंबी अवधि में मधुमेह, वैंफसर और हृदय संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हंै। प्रदूषण की वजह से आयु घट रही है। 2018 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि भारत में 2016 में वायु गुणवत्ता यदि वैश्विक मानकों वेफ अनुरूप होती, तो भारतीय 4.3 वर्ष ज्यादा जीते।
सुधार वेफ उपाय
आतिशबाजी लेजर शो
दिवाली वेफ दिनों में आतिशबाजी वेफ आकर्षक लेजर शो जगह-जगह करने चाहिए, ताकि लोगों को खुशी हो, उत्सव का एक मौका मिले। ऐसा शो कनाॅट प्लेस में हुआ है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रा वेफ सभी महत्वपूर्ण वेंफद्रों पर ये शो होने चाहिए। लोगों को स्थाई रूप से जागरूक करने वेफ हरसंभव उपाय करने चाहिए।
स्वूफलों में जागरूकता
स्वूफलों में बच्चों को समझाना इस बार दिल्ली में बहुत काम आया है। अनेक स्वूफलों में कहा गया था कि बच्चों ने आतिशबाजी की, तो बाल दिवस नहीं मनाया जाएगा। बच्चों को पर्यावरण वेफ प्रति जागरूक करवेफ न वेफवल प्रदूषण वेफ स्तर को घटाया जा सकता है, बल्कि उन्हें पर्यावरण दूत भी बनाया जा सकता है।
पराली जलाने पर कड़ी लगाम
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की वुफप्रथा पर कड़ाई से रोक लगाने की जरूरत हैं पराली जला रहे किसानों को स्पष्ट संदेश देना चाहिए कि ऐसा करवेफ वे समाज और स्वयं का अहित कर रहे हैं। पराली जलाने की बजाय दूसरों विकल्पों की पहल होनी चाहिए। जलाने का विकल्प उपलब्ध कराना होगा।
निर्माण-कार्यों पर नजर
हमारे शहरों में निरंतर कहीं न कहीं भवन-निर्माण वेफ कार्य चलते रहते हैं। इसमें पर्यावरण मानकों वेफ साथ जमकर खिलवाड़ होता हैं बड़े पैमाने पर प्रदूषण को अंजाम दिया जाता है। इस संबंध में सरकार को पूरी कड़ाई का परिचय देना चाहिए। निर्माण-संबंधी मानकों का पालन सुनिश्चित करना जरूरी है।
इन वजहों से होती है हमारी आबोहवा खराब
0 हमें हवा, पानी और पर्यावरण की ज्यादा परवाह नहीं।
0 हम नियम-कायदें, कानूनों का पूरी तरह पालन नहीं करते
0 पराली जलाने पर प्रतिबंध वेफ बावजूद हम जलाते हैं।
0 प्रदूषण पैफलाने वाले पटाखे चालने में भी हम नहीं हिचकते
0 जागरूकता अभियानों पर हम ज्यादा ध्यान नहीं देते
0 अपनी जिंदगी, सेहत की भी हमें पर्याप्त चिंता नहीं
0 धूम्रपान और धुआँ करने से संकोच नहीं करते
0 हमें अपने बच्चों या भावी पीढ़ियोें की परवाह नहीं
0 सुधार को सरकार की जिम्मेदारी मानते हैं
0 अपने आसपास गंदगी पैफलाने से परहेज नहीं करते हैं।
जानलेवा प्रदूशण