इस समय भारत में बीमारी पैफला रहा स्वाइन फ्रलू वायरस ज्यादा गंभीर और संव्रफामक होता जा रहा है। हालिया अमेरिकी अध्ययन में यह गंभीर चेतावनी जारी की गई है।
मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आॅपफ टेक्नोलाॅजी शोध्कर्ताओं ने इस अध्ययन में भारतीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों वेफ उस दावे को विरोध् किया है। जिसमें कहा गया है कि 2009 वेफ बाद वायरस मंे कोई परिवर्तन या म्यूटेशन नहीं हुआ है। 2009 में इस वायरस ने दुनिया भर में 18 हजार लोगों की जान ली थी। शोध्कर्ताओं वेफ मुताबिक भारत में पिछले साल दिसंबर से यह वायरस हजार से ज्यादा जान लें चुका है। इतनी तेजी से बीमारी पैफलने वेफ कारण की जांच करने पर पता चला है कि दरअसल म्यूटेशन यानी उत्परिवर्तन वेफ चलते एच-1एन-1 वायरस खतरनाक रूप ले रहा है। इसवेफ चलते यह ज्यादा जहरीला और तेजी से संव्रफमण पैफलाने वाला वायरस बन चुका है। यानी यह वायरस बदल चुका है। साइंस डेली में यह रिपोर्ट प्रकाशित हुई है।
यूँ हुआ अध्ययन
शोध्कर्ता राम शेखरन और कन्नन थरक्कारमन वेफ मुताबिक अध्ययन वेफ लिए इस साल स्वाइन फ्रलू पैफलाने वाले वायरस और 2009 में इस बीमारी का कारण बनें एच-1 एन-1 की जैविक संरचना का अध्ययन किया गया। शोध्कर्ताओं ने पाया कि वायरस में मौजूद प्रोटीन हेमगग्लुटिनिन में बदलाव आ गया है। यह प्रोटीन ही वायरस को मानव शरीर की श्वसन कोशिकाओं से बांध्ता है। प्रोटीन में बदलाव से ही बीमारी ज्यादा खतरनाक हो गई है।
खतरनाक होता जा रहा स्वाइन फ्रलू का वायरस