निरोगी काया वेफ लिए योग सबसे बेहतर माध्यम है। यह एक ऐसी आध्यात्मिक साध्ना है, जिसवेफ माध्यम से हमें शांति की अनुभूति होती है और हमारा तन-मन स्वस्थ रहता है, इसी योग में एक व्रिफया है जल नेति।
आज योग एक जरूरत बन चुका है। यह हमारे शरीर को ही स्वस्थ नहीं रखता, बल्कि मन पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। योग हमें जीवन जीने का एक नया दृष्टिकोण देता है। एक रिसर्च वेफ अनुसार यह असाध्य लोगों को ठीक करने में कापफी कारगर होता है। वैसे तो योग में अनेक आसन और व्यायाम हैं, पिफर भी वुफछ यौगिक व्रिफयाएं ऐसी है, जो शरीर वेफ किसी खास अंग वेफ लिए ही पफायदेमंद होती है। उन्हीं में से एक है जल नेति व्रिफया।
कब करें यह व्रिफया
यह व्रिफया षटकर्म का ही एक अंग है। इसका काम है आंतरिक अंगों को शु( करना। इस व्रिफया को जल, दूध्, घी और सूत्रा और तेल से किया जाता है। जल नेति करने से पहले सूत्रा नेति करना अति आवश्यक होता है। प्रातःकाल शौचादि से प्रैफश होकर यह व्रिफया करनी चाहिए।
जल नेति करने की विध्
िसूत्रा नेति में एक नाक से धगा डालकर मुँह से निकालना होता है। इसमें धगे को दोनों हाथों से पकड़कर घर्षण किया जाता है, लेकिन इस धगे को नाक में डालने से पहले जल में भिगो देना चाहिए। उसवेफ बाद दाई नाक में धगा डालें। मुँह में आने पर हाथ की सहायता से ध्ीरे-ध्ीरे उस धगे को बाहर निकाल लें। इसवेफ एक किलो पानी में लगभग 10 ग्राम सेंध नमक डालकर गुनगुना करवेफ नेति करने वाले लोटे में भर लें। इसवेफ लिए नील वाले लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए। चाहे वह किसी धतु का बना हो। नली वाले लोटे को दाईं नाक में लगाकर बाईं ओर की नाक को थोड़ा नीचे रखें। उस समय मुँह को खोलकर रखें और उसी से सांस लेने व छोड़ने की प्रव्रिफया करें। बाईं नाक से अपने आप जल निकलने लगेगा। इसी तरह दूसरी नाक से भी करें। इस व्रिफया को एक दिन में एक बार ही करना चाहिए। जल नेति करने वेफ बाद कपाल भाति करन बेहद जरूरी होता है। क्योंकि पानी अंदर रुकने से सिर में दर्द हो सकता है। यह साइनस की प्रारंभिक अवस्था को दूर करता है। इस व्रिफया को करने से नजले जुकाम में कापफी पफायदा होता है। जिन लोगों को कपफ रोग नहीं है, उनको गुनगुने जल से नेति आरंभ करवेफ ध्ीरे-ध्ीरे उसे सामान्य जल से करना चाहिए। योग में हर बीमारी वेफ लिए अलग-अलग यौगिक व्रिफयाएँ हैं। बशर्ते उन्हें नियम से करें।
कितनी देर करें यह व्रिफया
नेति व्रिफया करने से कई लोगों का सर्दी जुकाम ठीक हो जाता है। पर वुफछ लोगो को नेति व्रिफया से उल्टा सर्दी जुकाम हो जाता है। यदि नजला जुकाम है तो इस व्रिफया को रोज करना चाहिए अन्यथा 15 दिन में एक बार करने से लाभ होता है। किसी भी यौगिक व्रिफया की तरह इस व्रिफय को भी करने वेफ आधे घंटे वेफ बाद ही वुफछ खान-पीना चाहिए। लेकिन 10 साल से अध्कि आयु वेफ बच्चे ही इसका यौगिक अभ्यास कर सकते हैं।
तो बरतें सावधनी
जिनको अस्थमा या साँस से संबंध्ति बीमारी है, उनको यह व्रिफया नहीं करनी चाहिए। एक बात तो हमेशा ध्यान रखें कि पहली बार किसी अनुभवी योग विशेषज्ञ वेफ सामने ही इसे करें।
जल नेति आपको रखें निरोग