धूम्रपान का बच्चों पर प्रभाव


माता-पिता द्वारा किए गए ध्ूम्रपान से न वेफवल माता-पिता को ही हानि पहुँचती है। अपितु उनवेफ होने वाले बच्चों का भविष्य भी खतरे में पड़ सकता है। अतः आवश्यकता है कि समय रहते हमें ध्ूम्रपान की लत से तौबा कर लेनी चाहिए। अन्यथा परिणाम हमारी सोच से परे भी हो सकते हैं।
धूम्रपान वेफवल आपवेफ या हमारे लिए ही नहीं, अपितु अगली पीढ़ी वेफ लिए भी जानलेवा है। ब्रिटेन में हुए हालिया शोध वेफ अनुसार धूम्रपान करने वाले पुरुष अपनी अगली पीढ़ी को क्षतिग्रस्त डीएनए देते हैं। साथ ही इससे आने वाली पीढ़ी को भविष्य में वैंफसर, खासतौर पर ल्युवेफमिया वेैंफसर वेफ होने का खतरा बढ़ जाता है। ध्यान देने की बात है कि एक ‘पफर्टाइल स्पर्म सेल’ वेफ पूर्ण विकास में तीन महीने का समय लगता है। लिहाजा संतान वेफ इच्छुक व्यक्ति वेफ माँ वेफ गर्भधारण से 12 सप्ताह पूर्व धूम्रपान से तौबा कर लेनी चाहिए। तम्बावूफ सेवन की अधिकता नपुंसकता की नौबत ला सकती है।
यूनिवर्सिटी आॅपफ ब्रेनपफोर्ड में हाल में प्रकाशित शोध ‘मेन हू स्मोक पास आॅन डेमेज डीएनए टू देयर चिल्ड्रन’ वेफ अनुसार हालाँकि गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चो वेफ सामने हमेशा ही धूम्रपान ना करने की सलाह दी जाती है पर इस पर इस नए शोध में धूम्रपान की आदत का प्रभाव भू्रण वेफ विकास पर देखा गया है। शोधकों ने गर्भाधान अवस्था वेफ समय पुरुषों वेफ रक्त और वीर्य नमूनों में डीएनए की क्षति को मापने वेफ लिए बायोमार्वफर का इस्तेमाल किया। उन्होंने नई माँ वेफ रक्त नमूनों और जन्म वेफ समय बच्चे की गर्भनाल वेफ रक्त नमूनों की जाँच भी की। यूनिवर्सिटी में इस शोध की प्रमुख प्रोú डायना एंडर्सन वेफ अनुसार जिन पुरुषों ने माँ वेफ गर्भधारण अवस्था वेफ दौरान धूम्रपान किया था, उनवेफ बच्चों वेफ डीएनए में कमी देखने को मिली है। आमतौर पर लोग गर्भावस्था में गर्भवती महिलाओं वेफ ही धूम्रपान को रोकने की बात करते हैं, पर नए शोध वेफ अनुसार शिशु का स्वास्थ्य अच्छा हो, इसवेफ लिए पिता को भी गर्भाधान अवस्था वेफ दौरान धूम्रपान न करने पर जोर दिया गया है।
धूम्रपान वेफ दुष्परिणाम
सिगरेट में लगभग 4000 अलग-अलग हानिकारक रसायन होते हैंऋ जैसे कि निकोटिन, आर्सेनिक, मोनोआॅक्साइड और अमोनिया विषैले तत्व। भारत में बिकने वाली अधिकाँश सिगरेट में एक तो टार की मात्रा अधिक रहती है और दूसरा पिफल्टर नहीं होता। इस तरह तम्बावूफ संबंधी बीमारियों का खतरा और बढ़ जाता है। 
निकोटिन धुआँ अंदर जाने वेफ बाद वेफवल 10 सेकण्ड में मस्तिष्क में पहुँच जाता है। यह शरीर वेफ अंग-अंग में पहुँचता है। यहाँ तक कि माँ वेफ दूध में भी कार्बन मोनोआॅक्साइड लाल रक्त कोशिकाओं की हीमोग्लोबिन में मिल जाती है जिसवेफ चलते प्रभावित कोशिकाएँ पूरी मात्रा में आक्सीजन नहीं ले जा पाती।
धुएँ में मौजूद निकोटिन और कार्बन मोनोआॅक्साइड वेफ मिश्रण से वुफछ समय वेफ लिए दिल की धड़कन और रक्तचाप में वृ(ि हो जाती है। जाहिर है, इससे दिल और खून की नलियाँ अनावश्यक तनाव में आ जाती है। तम्बावूफ वेफ धुएँ में मौजूद वैंफसर पैदा करने वाले तत्व ;कार्सिनोजेनद्ध कोशिकाओं वेफ विकास वेफ लिए जरूरी जीन को नुकसान पहुँचाते हैं, जिससे कोशिकाएँ विवृफत रूप ले लेती हैं और बहुत तेजी से नई कोािशकाएँ बनाती है। धूम्रपान से सूजन की जड़ जमा चुकी समस्या बनी ओर बढ़ती रहती है, जिससे आॅक्सिडेटिव स्टेªस पैदा होता है। आॅक्सिडेटिव स्टेªस से डीएनए मंें बदलाव होता है और नतीजा होता है। एथेरोस्वेफलेराॅसिस ;धमनियों का जाम होनाद्ध जिससे पेफपफड़े वेफ क्षतिग्रसत रहने की समस्या हो जाती है।
धूम्रपान करने वालों वेफ खून में अन्य लोगों की तुलना में एंटी आक्सीडेंट की कमी देखने को मिलती है जिनका काम क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत करना होता है। धूम्रपान से करीब 25 होती है। यह दिल वेफ दौरे, स्ट्रोक, सीओपीडी, ब्रोंकाइटिस, वैंफसर विशेषकर पेफपफड़े वेफ वैंफसर, मुँह वेफ वैंफसर, पेट वेफ वैंफसर, आहारनाल वेफ वैंफसर और पैनव्रिफयाज वेफ वैंफसर का प्रमुख कारण है।
यह धारणा कि धूम्रपान से तनाव दूर होता है, निराधार है। सच तो यह है कि जिस तरह धूम्रपान करते रहने से संबंधित बीमारियों की संख्या और अवधि बढ़ती है, उसी प्रकार धूम्रपान छोड़ देने से इससे हुए नुकसान का खतरा भी धीरे-धीरे घटता है।