चिकन पाॅक्स संव्रफामक रोग है। इसवेफ मूल में है वैरीसेला जोस्टर नाम का वायरस थूक, बलगम, इसवेफ पफपफोलों से निकले द्रव्य या इसवेफ रोगी वेफ खाँसने-छींकने से दूषित हवा वेफ जरिए यह एक व्यक्ति को रोगग्रस्त कर सकता है। बच्चे इसकी चपेट में ज्यादा आते हैं।
क्या हैं लक्षण
इसवेफ लक्षण संव्रफमणग्रस्त होने वेफ दो-तीन दिन बाद ही उभरते हैं। लक्षण पूरी तरह उभरने वेफ बाद करीब हफ्रते भर बाद समाप्त होते हैं। इसका सबसे विशिष्ट लक्षण है, शरीर पर पानी भरे लाल-लाल दानों और पफपफोलों का उभरना। ये दाने सबसे पहले चेहरे, छाती और पीठ पर दिखाई देते हैं और धीरे-धीरे पूरे शरीर पर दिखने लगते हैं। बुखार होता है। भूख कम लगने लगती है। खाँसी भी आ सकती है। उभर रहे दानों में खुजली होती है। थकान महसूस होती है।
खतरा पहचानें
चिकन पाॅक्स वेफ मरीज को अतिरिक्त सापफ-सपफाई की जरूरत होती है, अन्यथा स्थिति चिंताजनक भी हो सकती है। यदि बीमारी वेफ लक्षण नियंत्राण में न रहें तो इसका असर मस्तिष्क ओर लिवर पर पहुँच सकता है। पीलिया, न्यूमोनिया और हाइड्रोसेपेफलिस की बीमारी हो सकती है। आमतौर पर चिकन पाॅक्स एक बार हो जाए तो शरीर में इसवेफ वायरस वेफ खिलापफ मजबूत प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। लेकिन यदि किसी को यह बीमारी दुबारा हो जाए तो विशेष चिकित्सकीय देखरेख की जरूरत होती है। दस साल से कम वेफ बच्चों को दुबारा चिकन पाॅक्स हो तो इससे रक्त में लाल रफधिर कणिकाएँ बहुत तेजी से नष्ट हो सकती है।
करें बचाव
बच्चें हों या बड़े, जिन्हें भी टीका न लगा हो और कभी चिकन पाॅक्स न हुआ हो, उन्हें इसका टीका लगवाना चाहिए। जो महिलाएँ गर्भाधारण की योजना बना रही हों, उन्हें अगर टीका न लगा हो तो वैरिसेला वैक्सीन का टीकारण करवा लेना चाहिए। इससे गर्भावस्था में चिकन पाॅक्स हो भी जाए तो भी जटिलतओं से लड़ने में मदद मिलती है। जो लोग चाइल्ड वेफयर वगैरह का काम करते हैं, उन्हें खास सावधानी बतरने की जरूरत है।
बरतें सावधानी
0 पानी में नीम की पत्तियाँ उबालें और तापमान सामान्य होने दें। मरीज को इसी पानी से नहलाएँ। नहलाने वेफ बाद पूरे बदन में नीम की पत्तियों का लेप बनाकर लगा सकते हैं। संव्रफमण पैफलने से रोकने का यह सबसे अच्छा प्रावृफतिक उपाय है।
0 मरीज को बाहर न निकलने दें, अन्यथा यह दूसरों में भी पैफल सकता है। बच्चों को चिकन पाॅक्स वेफ मरीज से दूर रखें।
0 अंडा, मांस-मछली, वसायुक्त आहार और डेयरी उत्पादों से परहेज करें। ज्यादा मात्रा में नमक, मिर्च-मसाला, खट्टे पफल व जंकपूफड खाने से बचें।
0 गाजर, सेब, पपीता, अंगूर, वेफला, किवी, तरबूज आदि खाएँ। गले में पफपफोले हों तो पफलों का जूस पिएँ। पानी भरपूर मात्रा में पिएँ। शुरफआती दिनों में दही-चावल खाने से आराम मिलता है। दही वैफल्शियम ओर प्रोबायोटिक्स की आर्पिूत करता है।
0 कसे हुए कपड़े न पहनें। हल्वेफ ढीलें सूती कपड़े पहनना उचित है।
0 चिकन पाॅक्स वेफ पफपफोलों को खुजलाने से बचें, अन्यथा वे जल्दी ठीक न होंगे।
0 गाजर को धनिये वेफ पत्तों वेफ साथ उबालकर सूप बनाएँ और प्रतिदिन इसका सेवन करें। यह एंटीआॅक्सीडेंट से भरपूर होता है। इसमें मौजूद तत्व चिकन पाॅक्स को जल्दी ठीक करने में मदद करते हैं।
0 सवेरे वेफ समय नारियल पानी पीना पफायदेमंद है। विटामिन ई और चंदन का तेल लगाने से चिकन पाॅक्स वेफ लक्षणों से जल्दी छुटकारा पाने में मदद मिलती है। निशान भी हल्वेफ होते हैं।
0 कब्ज न होने दें। पेट सापफ रखें।
0 डाॅक्टर की देखरेख में रहें।
एंटीबायोटिक्स लें। घावों को ढंककर रखें, ताकि वायरस हवा में न पैफले।
0 बायोवैफमिक की दवा पेफरम पफाॅस-6 एक्स, काली म्यूर 6 एक्स तथा नेट्रम सल्पफ 6 एक्स की 6-6 गोलियाँ एक कप गुनगुने पानी में घोलकर ढककर रख दें। इसमें से एक-एक चम्मच दवा चार-चार घंटे पर दिन में तीन या चार बार दें। इससे बुखार, खुजली और पफपफोलों में कापफी राहत मिलेगी।
0 बच्चे में कोई भी बेचैनी दिखने पर डाॅक्टर से मिलने में देरी न करें।
चिकन पाॅक्स में ना बरतें लापरवाही