वुफदरत वेफ दिये गये वरदानों में पेड़-पौधें का बहुत महत्व है-पेड़-पौध्े मानवीय जीवन चव्रफ में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसमें भोजन की पूर्ति वेफ अतिरिक्त जीव-जगत से संतुलन बनाये रखने मंे आगे हैं। कार्बन चव्रफ हो या भोजन शृंखला वेफ पिरामिड में स्थान सर्वोच्च हासिल है इनकी उपयोगिता को देखते हुए इनको कई वर्गों में विभाजित कर सकते हैं। औषध्ीय पौध्े न वेफवल अपना औषध् िमहत्व रखते हैं बल्कि आय का भी जरिया है। यही वजह है कि भारतीय पुराणों, शास्त्रों में इसका जिव्रफ आता है हनुमान जी ने भगवान लक्ष्मण की जान बचायी बल्कि आज भी चिकित्सकों द्वारा मानव उपचार में लाया जाता है। जंगलों में स्वयं उगने वाले अध्किांश औषध् िपौधें वेफ अद्भुत गुणों वेफ कारण लोगों द्वारा इनकी पूजा अर्चना की जाती है, तुलसी, पीपल, आक, बरगद, नीम आदि प्रसि( विद्वान चरक न हर एक प्रकार वेफ औषध् िकी रचना की है जिसका इस्तेमाल मानव जाति वेफ कल्याण वेफ लिए किया जाता है।
दूब घास: दूब को दूर्बा भी कहा जाता है। आदिवासियों वेफ अनुसार इसका प्रतिदिन सेवन से शक्ति व स्पूफर्ति प्रदान होती है। आदिवासी नाक वेफ खून निकलनें दूब की दो-दो बूँद अगर कान में डाली जाती हैं तो खून बहना बंद हो जाता है। और यह तो सभी जानते हैं कि देव वेफ देव ;शिवजीद्ध पुत्रा गणेश जी को दूब पसंद है इसवेफ बिना पूजन को अध्ूरा समझा जाता है।
बेलपत्रा-बेलपत्रा दस्त व हैजा नियंत्राण करने में दवा का काम करती है। शरीर से दुर्गंध् का नाश करने वेफ लिए इसका उपयोग किया जाता है।
अर्जुन छाल: दिल वेफ रोगों में अर्जुन सर्वोत्तम माना गया है। अर्जुन छाल शरीर की चर्बी को घटाता है। इसलिए वजन कम करने की औषध् िवेफ तौर पर इसका इस्तेमाल किया जाता है।
विदारी कद: आदिवासी पुरुष इसे अपनी शक्ति, ताकत वेफ लिए इस्तेमाल में लाते हैं।
लटजीरा: इसे अपामार्ग भी कहा जाता है इसवेफ सूखे, बीजों को वजन कम करने वेफ लिए उपयोग में लायी जाती है।
इसवेफ तने से दातून करने से दाँत मजबूत होते हैं।
कनेर: कनेर को बुखार दूर करने वेफ लिए कारगर माना जाता है आदिवासी हर्बल जानकार सर्पदंश और बिच्छू वेफ काटने पर इसका उपयोग करते हैं।
चित्रा: बेलपत्राी, दूब, कनेर, अर्जुन छाल, पौध्े
नोनी पफल: वर्तमान में आयुर्वेद को लोग ज्यादा से ज्यादा अपना रहे हैं। खासकर जड़ी-बूटियों को इसमें एक ऐसा पफल बताने की कोशिश में हूँ जिसकी जानकारी कापफी कम लोगों को है। इस पफल का नाम नोनी है। इस नोनी पफल में कई औषध्ीय गुण हैं। जो कई खतरनाक बीमारियों को खत्म करने की क्षमता रखता है नोनीपफल महिलाओं के लिए भी एक वरदान है जिन महिलाओं को बांझपन होता है इसवेफ सेवन से बांझपन को हम नकार नहीं सकते। यह पफल खाने से 100 साल तक स्वस्थ रखने की क्षमता रखता है। ऐसा औषध् िचमत्कारी गुरुओं का कहना है। इसको मोरन्डिा सिट्रीपफालिया वेफ नाम से भी जानते हैं। यह आलू वेफ आकार की तरह होता है, इसका रंग सपेफद, पीला हरा भी हो सकता है। इसमें 150 से ज्यादा पोषक तत्व होते हैं। वैज्ञानिक बताते हैं कि इसवेफ सेवन से हमेशा रोगमुक्त रहते हैं। इस पफल में एंजाइम कापफी मात्रा में होता है। नोनी पफल पर कई रिसर्च भी हुए हैं। नोनी में एंटी टयूमर, एंटी वायरन गुण भी होता है। इसवेफ अलावा इसमें जोरो नाइन तत्व भी पाया जाता है। शरीर का रक्त संचार ठीक करता है। जिसकी वजह से हमारे बाल संुदर व घने होते हैं। इसवेफ सेवन से सेहत ठीक रहती है। बीमारियां नहीं होती है। जिनवेफ शरीर में अकड़न रहती है। इसवेफ सेवन से वह दूर हो जाती है। जोड़ों में दर्द रहता है। वह ठीक करता है। इसको डायट में शामिल करना चाहिए, मुँहासे, दाग व ध्ब्बों से छुटकारा मिलता है। ब्लड प्रेशर व माइग्रेन की परेशानी से छुटकारा मिलता है। नोनी पफल खाने से मधुमेह की समस्या दूर होती है। यह पफल शुगर वेफ स्तर को बढ़ने नहीं देता है। बालों का रूखापन दूर करता है। नोनी पफल का रस बालों में लगाना चाहिए। स्त्रिायों को नोनीपफल का सेवन करना चाहिए। अस्थमा व साँस लेने की परेशानी को दूर करता है। यह वैदिक पफल है पेटदर्द, कब्ज, दस्त में काम आता है इस पफल का उपयोग कई तरह की दवाई बनाने में किया जाता है। वैज्ञानिक और भी कई तरह वेफ रिसर्च कर रहे हैं। इसवेफ गुणों, उपचार वेफ बारे में जानकारी हासिल कर सवेंफ।
औषध्-िसामान्य ज्ञान