औद्योगिक और विकास संबंध्ी गतिविध्यिों के चलते प्राकृतिक संसाध्न कम पड़ गए हैं और पर्यावरण का लगातार क्षरण हो रहा है। अब ऐसी तकनीक चाहिए, जिसमें प्रकृति का नुकसान कम से कम हो। एन्वायर्नमेंटल साइंसेज से जुड़े लोग ऐसे ही महत्वपूर्ण काम अंजाम देते हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं कि पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने में हमारी आध्ुनिक गतिविध्यिाँ जिम्मेदार रही हैं। आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में प्रतिदिन लगभग 9000 मीट्रिक टन कचरा निकलता है, जिसके प्रबंध्न का कोई सही तरीका हमारे पास नहीं है। वहीं प्राकृतिक संसाध्न भी कम हो रहे हैं। पफाॅरेस्ट सर्वे आॅपफ इंडिया 2017 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड जैसे वन बहुल राज्य में वनों की वृ(ि ना के बराबर ही दर्ज हुई है। ऐसे अनेक उदाहरण मिल जाएंगे, जहाँ मनुष्य और प्रकृति का आपसी तालमेल नहीं बैठ रहा है। इस तालमेल को तकनीक के इस्तेमाल से सही करने का काम करते हैं एन्वायर्नमेंटल साइंटिस्ट और इंजीनियर।
क्या है एन्वायर्नमेंटल इंजीनियरिंग
पर्यावरण को हानि पहुँचाने वाले तत्वों की रोकथाम, शहरी कचरे के प्रबंध्न व नियंत्राण/रोकथाम के लिए उपाय, जल का शु(िकरण, प्राकृतिक स्रोत में मिल चुके विषाक्त पदार्थों को अलग करने का दायित्व इन पेशेवरों का होता है। एन्वायर्नमेंटल इंजीनियर इनसे संबंध्ति उपकरणों की डिजाइनिंग और उत्पादन के काम में भी शामिल होते हैं।
एन्वायर्नमेंटल साइंस/इंजीनियरिंग
अगर आप परिस्थितिकी और जैव विविध्ता के क्षेत्रा में काम करना चाहते हैं तो एन्वायर्नमेंटल साइंस पर आधरित कोर्स आपको चुनने चाहिए। दूसरी ओर अगर आपकी दिलचस्पी प्रदूषण नियंत्राण और इसके लिए टेक्नोलाॅजी के इस्तेमाल में है तो एन्वायर्नमेंटल इंजीनियरिंग का चुनाव करना चाहिए। एन्वायर्नमेंटल साइंस मूलतः इंटर डिसिप्लिनरी कोर्स है, जिसमें कई विषयों पर आधरित सिलेबस होता है, जबकि दूसरी ओर एन्वायर्नमेंटल इंजीनियरिंग का कोर्स शु( रूप से टेक्नोलाॅजी से संबंध्ति है। एन्वायर्नमेंटल साइंटिस्ट की संस्तुतियों के आधर पर एन्वायर्नमेंटल इंजीनियर साइंस और टेक्नोलाॅजी के व्यावहारिक टूल्स का इस्तेमाल कर समाधन खोजने में जुट जाते हैं।
क्या है कोर्स
एन्वायर्नमेंटल इंजीनियरिंग में चार साल के बीई/बीटेक कोर्स देश भर के विभिन्न संस्थानों में उपलब्ध् हैं। इनमें प्रवेश के लिए 10 $ 2 के साइंस स्ट्रीम के अंक और प्रवेश परीक्षा के अंकों को आधर बनाया जाता है। इस कोर्स में आॅगेनिक केमिस्ट्री, हाइड्रोलाॅजी, एटमाॅस्पफेरिक केमिस्ट्री, सपर्फेस वाॅटर क्वालिटी आदि पर गहन सै(ांतिक एवं व्यावहारिक अध्ययन का प्रावधन है। अन्य कोर्स में बीएससी ;एन्वायर्नमेंटल साइंसद्ध, पीजी डिप्लोमा और एमएससी स्तर के कोर्स भी हैं।
व्यक्तिगत गुण
इस क्षेत्रा में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता के साथ मैथ्स और साइंस में अच्छी पकड़ होनी चाहिए। एन्वायर्नमेंटल इंजीनियरिंग के सि(ांतों को अमल में लाने की काबिलियत भी होना चाहिए। अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स और पृथ्वी के लिए आने वाले वक्त को समझने का विस्तृत नजरिया भी विकसित करना होगा।
नियुक्ति के क्षेत्रा
पर्यावरण के प्रति जागरूकता और सरकारी विभागों के सक्रिय होने से इस क्षेत्रा में अवसर कापफी बढ़े हैं।
उपकरणों के उत्पादन कार्य: उद्योगों में पर्यावरण संरक्षण की तकनीक के जानकार लोगों की मांग में वृ(ि हुई है। पर्यावरण सुरक्षा उपकरण बनाने वाली कम्पनियों में निर्माण कार्य के लिए इस तकनीक के जानकार लोगों को नियुक्त किया जाने लगा है।
शोध् कार्य: इस क्षेत्रा में शोध् कार्य भी बड़े स्तर पर चल रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण पर काम करने वाले गैरसरकारी संगठन भी इन एक्सपट्र्स की सेवाएं लेते हैं।
सरकारी विभागों में अवसर: पर्यावरण संबंध्ति सरकारी विभागों में भी इस प्रकार के प्रोपफेशनल्स को केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त किया जाता है।
अध्यापन: रिसर्च एवं पीएचडी धरकों के लिए लेक्चरशिप के अवसर हो सकते हैं।
पर्यावरण पत्राकारिता: पर्यावरण से संबंध्ति पत्रा-पत्रिकाओं के सम्पादकीय विभागों में इस तरह के जानकार लोगों की जरूरत पड़ती है।
पर्यावरण कानूनविद: पर्यावरण कानून का एक अलग ही क्षेत्रा है, जिसमें एक्सपर्ट के तौर पर अपने करियर को स्थापित करने के अवसर भी खूब हैं। इसके साथ ही आपको ठोस कचरा प्रबंध्न, जल गुणवत्ता प्रबंध्न, पानी के बायोलाॅजिकल ट्रीटमेंट, रेडिएशन प्रोटेक्शन के विशेषज्ञ के तौर पर पहचान मिलेगी। ये ओजोन के क्षरण की रोकथाम व ग्लोबल वार्मिंग पर भी काम करते हैं।
जीव विज्ञान के छात्रों के लिए बेहतर
यह गहन चिंतन का विषय है कि युवा पीढ़ी की करियर निर्माण की प्राथमिकता सूची में पर्यावरण संबंध्ी किसी भी कोर्स का नाम कापफी निचले पायदान पर रहता है अथवा सिरे से नदारद होता है। विशषज्ञों के अनुसार ध्रती पर जीवन को बचाए रखने के लिए बिगड़ते पर्यावरण की देखभाल करनी जरूरी है। वर्तमान में ऐसे टेंªड लोगों की संख्या मांग से कापफी कम है और आने वाले समय में इस मांग में और तेजी आने की पूरी-पूरी संभावनाएं हैं। जहाँ तक नौकरियों की बात है तो विदेशों में भी उच्च अध्ययन, शोध् कार्य तथा नौकरियों की संभावनाएं कम नहीं हैं। जीवविज्ञान की पृष्ठभूमि वाले युवाओं के लिए इस क्षेत्रा में कापफी अवसर हो सकते हैं। खासकर जल प्रदूषण से संकटग्रस्त जल-जीव संरक्षण अथव मृदा प्रदूषण के कारण वानस्पतिक संपदा के बचाव के लिए ऐसे जानकार लोगों की जरूरत है।
पर्यावरण संरक्षण को मिल रहा है बढ़ावा
इंजीनियरिंग की अध्किांश शाखाओं में आज अवसरों की कमी है। इसमें निकट भविष्य में बहुत सुधर होने की संभावनाएं नहीं हैं। इस स्थिति में एन्वायर्नमेंटल इंजीनियरिंग एक बेहतर करियर विकल्प सि( हो सकता है। पर्यावरण संरक्षण पर सरकार का न सिपर्फ ध्यान है, बल्कि इस मद पर बजट राशि में भी खासी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। ऐसे में निस्संदेह इस क्षेत्रा में पदार्पण करने वाले युवाओं के लिए आने वाले समय में अवसरों की संख्या कम नहीं होगी।
प्रमुख संस्थान
* दिल्ली टेक्नोलाॅजिकल यूनिवर्सिटी
* पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा
* राजीव गांध्ी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भोपाल
* लखनऊ विश्वविद्यालय
* बैचलर आॅपफ वोकेशन-रिन्यूवेबल एनर्जीद्ध
* आईआईटी, दिल्ली, कानपुर, खड़गपुर, मद्रास
* जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली
* भरतियार यूनिवर्सिटी, कोयंबटूर