दिल और दिमाग दोनों का रखें ध्यान


दिल और दिमाग का गहरा संबंध है। जो चीजें हृदय को नुकसान पहुँचाती हैं, वो मस्तिष्क को भी बीमार करती हैं। हमारा हृदय और मस्तिष्क धमनियों से जुड़े होते हैं, जो शरीर वेफ सभी हिस्सों में खून, आॅक्सीजन और पोषक तत्त्वों की आपूर्ति करते हैं। जब धमनियों में प्लाॅक जम जाता है और कड़ा हो जाता है तो न वेफवल ये हृदय को बीमार बनाता है, बल्कि इससे मस्तिष्क भी प्रभावित होता है। जर्मनी में हुए अध्ययन वेफ मुताबिक जिन लोगों का हार्ट पेफल होता है, उनकी मानसिक कार्यप्रणाली भी धीमी हो जाती है। 
दिल और दिमाग का रिश्ता 
अमेरिका वेफ एक जनरल न्यूरोलाॅजी में प्रकाशित अमेरिका हार्ट एसोसिएशन वेफ अध्ययन वेफ अनुसार जो कारण दिल को बीमार रखते हैं, वे मस्तिष्क की सेहत पर भी असर डालते हैं। हमारा मस्तिष्क शरीर में आॅक्सीजन का सबसे अधिक उपभोग करता है। ऐसे में अगर हृदय में आयी गड़बड़ी वेफ कारण खून व आॅक्सीजन की आपूर्ति बाधित होती है, तो इसका असर दिमाग पर पड़ने लगता है। हृदय की सेहत और उम्र बढ़ने वेफ साथ होने वाले मानसिक विकार डिमेशिया में भी गहरा संबंध है। एक अध्ययन वेफ मुताबिक, जिन कारकों से अथेरोस्क्लेरोसिस ;धमनियों का कड़ा हो जाना, जिससे रक्त का थक्का जम जाता हैद्ध होता है, वह बुढ़ापे में होने वाले मानसिक रोग अल्जाइमर्स का भी प्रमुख कारक है। हृदय को सही रखने वाले उपाय स्ट्रोक वेफ साथ अल्जाइमर्स और डिमेशिया से भी बचाते हैं। आइये जानें उन कारकों को, जो दिल वेफ साथ दिमाग पर भी असर डालते हैंµ
कोलेस्ट्राॅल    
35 से 55 वर्ष वेफ लोगों में अगर कोलेस्ट्राॅल का स्तर सामान्य से थोड़ा सा भी अधिक होता है, तो हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। अगर एक दशक तक शरीर में कोलेस्ट्राॅल का स्तर अधिक होता है तो हृदय  रोग की आशंका 39» बढ़ जाती है। रक्त में कोलेस्ट्राॅल की अधिक मात्रा से धीरे-धीरे रक्त वाहिनियों में वसीय पदार्थ जम जाता है, जिससे हृदय में ही नहीं, मस्तिष्क तक रक्त वेफ प्रवाह वेफ लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इससे हृदय का आकार बड़ा हो सकता है, माँसपेशियाँ कमजोर हो सकती हैं, रक्त नलिकाओं में वसा वेफ जमा होने की आशंका बढ़ जाती है, जिससे कई तरह वेफ हृदय रोगों की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। उच्च रक्तचाप और स्ट्रोक की आशंका वेफ बीच गहरा संबंध है। रक्तदाब जितना अधिक होगा, स्ट्रोक का खतरा उतना ही बढ़ जाएगा। उच्च रक्तदाब को स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण माना जाता है, जो ब्लाॅवेफज और ब्लीडिंग दोनों की आशंका बढ़ा देता है। मोटापा जितना ज्यादा होगा, आपवेफ शरीर वेफ उफतकों को अधिक मात्रा में आॅक्सीजन और रक्त की आवश्यकता होगी, और जितना ज्यादा शरीर की धमनियों से रक्त का परिसंचरण होगा, उतना ही उनकी दीवारों पर दबाव अधिक पड़ेगा। उच्च रक्तदाब ओर कोलेस्ट्राॅल हृदय रोगों और ब्रेन स्ट्रोक वेफ सबसे बड़े कारक हैं। ये उम्र बढ़ने वेफ साथ अल्जाइमर्स की चपेट में आने का खतरा भी बढ़ा देते हैं।
शारीरिक सव्रिफयता की कमी  
शरीरिक रूप से सव्रिफय न रहने से रक्त में कोलेस्ट्राॅल का स्तर भी बढ़ जाता है, रक्त शर्वफरा का स्तर अनियंत्रित हो जाता है। कोलेस्ट्राॅल का बढ़ता स्तर और घटती शारीरिक सव्रिफयता हृदय रोगों और ब्रेन स्ट्रोक का कारण बन सकती है। निष्व्रिफय जीवनशैली जीने वाले लोगों की कम श्रम की गतिविधियों से ही दिल की धड़कनें ज्यादा तेज हो जाती हंै। उनकी धमनियों पर उतना ही असर पड़ने लगता है। 
खानपान की गलत आदतें
माँसाहार, तली हुई चीजें, पफास्ट पूफड, वसायुक्त दूध और दुग्ध उत्पाद, चीनी का अधिक मात्रा में सेवन हृदय रोगों की आशंका बढ़ा देते हैं। चीनी और सामान्य कार्बोहाइड्रेट, जैसेµ ब्रेड, पास्ता और बेक की हुई चीजें हृदय रोगों और अल्जाइमर्स का खतरा बढ़ाती हैं। भोजन में सोडियम की अधिकता या पोटैशियम की कमी रक्तदाब को बढ़ा देती है। बेहतर है कि घर का बना खाना खाएँ, जंक पूफड और बाहर वेफ खाने से बचें।
धूम्रपान
इससे रक्त नलिकाएँ कड़ी हो जाती हैं। विषैले रसायन खून में अच्छे कोलेस्ट्राॅल को कम करते हैं, जिससे रक्त का थक्का जमने और रक्त नलिकाओं वेफ ब्लाॅवेफज होने की आशंका बढ़ जाती है। धूम्रपान धमनियों में प्लाॅक वेफ जमाव को बढ़ा देता है। 
तनाव
अगर समय रहते इसको नियंत्रित न किया गया, तो लगातार तनाव की स्थिति मस्तिष्क की कोशिकाओं और हिप्पोवैफम्पस को नष्ट कर देगी। तनाव वेफ कारण ब्लड प्रेशर और ब्लड कोलेस्ट्राॅल का स्तर बढ़ जाता है। हृदय रोगों की आशंका 15-20 » बढ़ जाती है। अतः तनावमुक्त रहना बेहद जरूरी है। 
क्या कहते हैं आँकड़े
तनाव दिल की बीमारियों की आशंका को 15-20» तक बढ़ा देता है। 
मस्तिष्क का भार शरीर वेफ भार का दो प्रतिशत होता है, लेकिन शरीर वेफ लिए जरूरी वुफल उफर्जा में से 20 पफीसदी की जरूरत अवेफले मस्तिष्क को होती है। 
50 पार कर चुवेफ लोग, जो नियमित 4 से 7 घंटे पैदल चलते हैं, उनमें स्ट्रोक की आशंका 11 पफीसदी तक कम हो जाती है। 
उच्च रक्तचाप, हानिकर कोलेस्ट्राॅल व रक्त में ग्लूकोज का स्तर ये तीन कारक स्ट्रोक का खतरा 76 » और हृदय रोगों का खतरा 46 » तक बढ़ा देते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय शोध में यह सामने आया है कि मोटे लोग ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्राॅल और ब्लड शुगर को काबू रखकर हृदय रोगों की आशंका को 50» और स्ट्रोक की आशंका को 75» तक कम कर सकते हैं।
शोध में ये बात सामने आयी है कि जिन लोगों में ब्लड प्रेशर व कोलेस्ट्राॅल का स्तर अधिक होता है, या पिफर जिन्हें डायबिटीज होती है, उनमें अल्जाइमर्स होने की आशंका बढ़ जाती है।
नियमित जाँच है जरूरी
  हृदय और मानसिक रोग आनुवांशिकी से भी जुड़े हैं, जिनवेफ माता-पिता या भाई-बहनों को हृदय रोग, स्ट्रोक, अल्जाइमर्स या डिमेशिया है, उन्हें दोगुनी सावधानी बरतनी चाहिए। नियमित अंतराल पर जरूरी चेकअप कराते रहें। शरीर में हो रहे बदलावों को नजरअंदाज न करें, किसी भी प्रकार वेफ आसामान्य लक्षण दिखाई दंे तो तुरंत डाॅक्टर से संपर्वफ करें।
संतुलित भोजन
पौष्टिक और संतुलित भोजन खाएँ। दिन में तीन बार भोजन की जगह छह बार कम मात्रा में भोजन करें। रोजाना पाँच प्रकार वेफ पफल और सब्जियाँ खाएँ। वसा रहित दूध और दुग्ध उत्पादों का सेवन करें। लाल माँस से परहेज करें। चाय, काॅपफी, कोल्ड डिंªक्स आदि का सेवन कम मात्रा में करें। डिब्बाबंद और जंक पूफड से दूर रहें। साबुत अनाज वाला खाना खाएँ, इससे ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है।
हर रोज व्यायाम
हृदय और मस्तिष्क को स्वस्थ रखने वेफ लिए कम-से-कम रोज आधा घंटा टहलें या व्यायाम और योग करें। शारारिक रूप से सव्रिफय रहने से रक्त का प्रवाह सुधरता है, शारीरिक और मानसिक तनाव कम होता है। व्यायाम करने से मस्तिष्क में रक्त का संचरण बढ़ता है, तनाव भी कम होता है और हृदय गति काबू में रहती है। 
नियंत्रित रखें वजन
हम क्या खाते हैं, उसका सीधा संबंध हमारे वजन से होता है। अपनी उम्र और लंबाई वेफ हिसाब से अपना वजन बनाए रखें। शारीरिक रूप से सव्रिफय रहना बेहद जरूरी है। मोटापा बढ़ने से शरीर में कोलेस्ट्राॅल का स्तर भी तेजी से बढ़ता है। शरीर में वसा की मात्रा अधिक होने पर सोडियम इकट्ठा हो जाता है, इससे रक्त का दाब बढ़ जाता है, यह हृदय और मस्तिष्क वेफ लिए कापफी नुकसानदेह होता है।